शनिवार, 28 जून 2008

बताता है कोई !

अचानक रात को चलता हुआ आता है कोई,
मेरे बालो को बड़ी खामोशी से सहलाता है कोई।
अंधेरे मे कोशिश करता हु उसे पहचानने की,
पहचान नही पाता, यह तो हवा का झोंखा है कोई ।
रात की तनहाइयों मे बदलता हु जो मै करवटें ,
गुजरा हुआ लम्हा बड़ी शिद्दत से याद आता है कोई।
भागा तो था तुमसे दूर पर मै बेवफा तो नही ,
चुकाना है कम्भख्त इस जिदगी का क़र्ज़ भी मुझे कोई,
भीड़ भरी महफिलों मे अक्सर खो जाता हु मै ,
अपने दिल का हाल आजकल किसी को बताता है कोई ।


1 टिप्पणी:

Rahul Gautam ने कहा…

Bach ke rehna sir, koi bhoot toh peeche nahi lag gaya hai