शनिवार, 28 जून 2008

बताता है कोई !

अचानक रात को चलता हुआ आता है कोई,
मेरे बालो को बड़ी खामोशी से सहलाता है कोई।
अंधेरे मे कोशिश करता हु उसे पहचानने की,
पहचान नही पाता, यह तो हवा का झोंखा है कोई ।
रात की तनहाइयों मे बदलता हु जो मै करवटें ,
गुजरा हुआ लम्हा बड़ी शिद्दत से याद आता है कोई।
भागा तो था तुमसे दूर पर मै बेवफा तो नही ,
चुकाना है कम्भख्त इस जिदगी का क़र्ज़ भी मुझे कोई,
भीड़ भरी महफिलों मे अक्सर खो जाता हु मै ,
अपने दिल का हाल आजकल किसी को बताता है कोई ।


शुक्रवार, 27 जून 2008

जिंदगी

कटते कटते कुछ इस तरह से जिंदगी बसर गई,
साथ की तलाश थी पर तनहा गुजर गई।
आँखे तो खुली थी और मै देखता था खवाब ,
उम्मीद के चिराग को हवा बुझाती चली गई ।
मुकाम की तलाश में अक्सर भटकता रहा,
हाथ में आई बाज़ी अक्सर फिसल गई।
अब जो देखता हू आईने मे चेहरा अपना,
अपनी ही शक्ल अब अजनबी सी लगने लगी।