बुधवार, 21 मई 2008

दूसरा रुख

कहने को तो कहा जा सकता है कि हम ६० साल पहले आजाद हो गए थे लेकिन क्या वाकई मे ऐसा है। हम जहाँ एक तरफ़ बात करते है कि हिंदुस्तान इस समय अभूतपुर्वे रूप से तरक्की कर रहा है। जहा मित्तल, टाटा, भारती, रिलायंस, विदेओकोन आदि अनेक व्यापारिक घराने इंटरनेशनल कंपनी का अदिग्रहण करने मे व्यस्त है और सरकार उपग्रह छोड़ कर आनंद मे मगन है और मंगल पर यान भेजने कि तैयारीयों मे व्यस्त है वही दूसरी तरफ़ बुंदेलखंड मे किसान पानी को तरस रहे है , किसान भुखमरी के कारन आत्महत्या कर रहे है, आम आदमी
अपनी रोज़मर्रा की जरूरतों को पूरा करने मे मारा जा रहा है। हम अपने नागरिको का जीवन स्तर तो सुधार नही पा रहे है और तरक्की की चका चौंध मे कोय जा रहे है.

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